Osho Stories | ओशो स्टोरीज

शायद कल हो

एक फकीर था। उसने कहा कि ‘मैंने आज तक जिनके पास भी गया, सबसे सीखा।’ किसी ने पूछा, ‘यह कैसे हो सकता है? एक चोर से क्या सीखिएगा?’ उसने कहा, ‘एक बार ऐसा हुआ, हम एक चोर के घर में मेहमान थे। और ऐसा हुआ कि उस चोर के घर हम एक महीना मेहमान थे। …

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कौन गवाही है?

बर्क नाम का एक बहुत बड़ा इतिहासज्ञ विश्व-इतिहास लिख रहा था। और कोई पंद्रह वर्षों से लिख रहा था निरंतर। पंद्रह वर्षों का सारा जीवन उसने विश्व-इतिहास के लिखने में लगाया हुआ था। एक दिन दोपहर की बात है, वह इतिहास लिखने में लगा हुआ है और पीछे शोरगुल हुआ है। दरवाजा खोल कर वह …

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किसकी प्रतीक्षा कर रहे हो

एक बड़ी प्रसिद्ध सूफी कथा है। सम्राट सोलोमन सुबह—सुबह सोकर उठा ही था कि उसके एक वजीर ने घबड़ाए हुए भीतर प्रवेश किया। वह इतना घबड़ाया था, सुबह—सुबह की ठंडी हवा थी, शीतल मौसम था चारों तरफ, लेकिन वजीर पसीने से लथपथ था। सोलोमन ने पूछा, क्या हुआ? बिना पूछे एकदम भीतर चले आए और …

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चालबाज तो ऐसे हैं

मैंने सुना है एक नाव डूबी—डूबी हो रही थी। लोग घुटने टेक कर प्रार्थना कर रहे थे परमात्मा से। सिवाय उसके कोई उपाय सूझता नहीं था। तूफाना जोर का था। आंधी भयंकर थी। लहरें आकाश छूने की चेष्टा कर रही थीं। नाव छोटी थी, डांवांडोल थी। पानी भीतर आ रहा था, उलीच रहे थे लेकिन …

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लॉफिंग सेंट्स।

चीन में तीन फकीर हुए। उन्हें तो लोग कहते ही थे—लॉफिंग सेंट्स। वे हंसते हुए फकीर थे। वे बड़े अदभुत थे। क्योंकि हंसते हुए फकीर! ऐसा होता ही नहीं है, रोते हुए ही फकीर होते हैं। वे गांव—गांव जाते। अजीब था उनका संदेश। वे चौराहों पर खड़े हो जाते और हंसना शुरू करते। एक हंसता, …

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कुएं का मेंढक

तुमने कहानी सुनी है न! सागर का एक मेंढक एक बार एक कुएं में चला आया। कुएं के मेंढक ने पूछा कि मित्र, कहां से आते हो? उसने कहा: सागर से आता हूं। कुएं के मेंढक ने तो सागर शब्द सुना ही नहीं था। उस ने कहा: सागर! यह किस कुएं का नाम है? सागर …

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छाया

मैंने सुना है कि एक गांव में एक बार एक आदमी को एक बड़ा पागलपन सवार हो गया। वह एक रास्ते से गुजर रहा था। भरी दोपहरी थी, अकेला रास्ता था, निर्जन था। तेजी से चल रहा था कि निर्जन में कोई डर न हो जाए। हालाकि डर वहां हो भी सकता है, जहां कोई …

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मैं निपट अज्ञानी हूं

मैंने सुना है, एक सूफी फकीर के आश्रम में प्रविष्ट होने के लिये चार स्त्रियां पहुंचीं। उनकी बड़ी जिद थी, बड़ा आग्रह था। ऐसे सूफी उन्हें टालता रहा, लेकिन एक सीमा आई कि टालना भी असंभव हो गया। सूफी को दया आने लगी, क्योंकि वे द्वार पर बैठी ही रहीं – भूखी और प्यासी; और …

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कोल्हू का बैल

मैंने सुना है, एक दार्शनिक, एक तार्किक, एक महापंडित सुबह-सुबह तेल खरीदने तेली की दुकान पर गया। विचारक था, दार्शनिक था, तार्किक था, जब तक तेली ने तेल तौला, उसके मन में यह सवाल उठा–उस तेली के पीछे ही कोल्हू का बैल चल रहा है, तेल पेरा जा रहा है–न तो उसे कोई चलाने वाला …

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बाहर की दुनिया

कवि गालिब को एक दफा बहादुरशाह ने भोजन का निमंत्रण दिया था। गालिब था गरीब आदमी। और अब तक ऐसी दुनिया नहीं बन सकी कि कवि के पास भी खाने-पीने को पैसा हो सके। अच्छे आदमी को रोजी जुटानी अभी भी बहुत मुश्किल है। गालिब तो गरीब आदमी थे। कविताएं लिखी थीं, ऊँची कविताएं लिखने …

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