Kahawatho ki Kahaniya | कहावटो की कहानिया

तिरिया से राज छिपे न छिपाए

किसी गाँव में एक पति-पत्नी बड़े प्रेम से रहते थे। दोनों को एक-दूसरे पर पूरा-पूरा विश्वास था। पत्नी के प्रेम के कारण पति अपने घरवालों से अलग हो गया था। पति यह जानता था कि उसके माता-पिता बहुत सीधे हैं लेकिन फिर भी वह अपनी पत्नी के लिए उनसे लड़ता था। वह हमेशा ही अपनी …

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विनाश काले विपरीत बुद्धि

पाण्डवों के वन जाने के बाद नगर में अनेक अपशकुन हुए। उसके बाद नारदजी वहां आए और उन्होंने कौरवों से कहा कि आज से ठीक चौदह वर्ष बाद पाण्डवों के द्वारा कुरुवंश का नाश हो जाएगा. (कुछ )…. द्रोणाचार्य की बात सुनकर धृतराष्ट्र ने कहा गुरुजी का कहना ठीक है। तुम पाण्डवों को लौटा लाओ। …

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जैसा करोगे वैसा भरोगे

एक बुढ़िया थी। उसका एक ही बेटा था। वह हमेशा यही सपने देखती थी कि उसके बेटे का विवाह होगा तो बेटा और बहू दोनों मिलकर उसकी बहुत सेवा करेंगे और उसे घर का भी काम नहीं करना पड़ेगा। धीरे-धीरे वह दादी बन जाएगी और उसका घर स्वर्ग बन जाएगा। आखिर वह दिन भी आ …

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घमंडी का सिर नीचा

एक जंगल में बाँस का पेड़ और एक जामुन का पेड़ पास-पास थे। जामुन का पेड़ बाँस के पेड़ की अपेक्षा बहुत मजबूत था। बाँस का पेड़ बहुत पतला होने के साथ-साथ बहुत लचीला भी था। हवा का रुख जिस ओर होता बाँस का पेड़ उसी दिशा में झुक जाता था। एक बार जामुन के …

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सेर पर सवा सेर

एक बार अपनी समस्याओं पर विचार करने के लिए बहुत सारे खरगोश एक स्थान पर इकट्ठा हुए। एक खरगोश ने कहा-‘हम सभी जीवों से अधिक सुन्दर हैं। हमें खूंखार जानवर, पशु-पक्षियों से हमेशा अपनी जान का खतरा बना रहता है। हमसे कोई भी नहीं डरता लेकिन हम सबसे डरते हैं। मनुष्य भी हमारा मांस खाने …

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जिस की लाठी उस की भैंस

तो कहानी कुछ यों है कि एक ब्राह्मण को कहीं से यजमानी में एक भैंस मिली। उसे लेकर वह घर की ओर रवाना हुआ। सुनसान रास्ते में वह पैदल ही चला जा रहा था। बीच रास्ते में उसे एक चोर मिला। उसके हाथ में मोटा डण्डा था और शरीर से भी वो अच्छा तगड़ा था। …

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बुरे का अंत बुरा

किसी जंगल में चार चोर रहते थे। वे चारों मिलकर चोरी करते और जो भी सामान उनके हाथ लगता उसे आपस में बराबर-बराबर बाँट लेते थे। वैसे तो वे चारों एक-दूसरे के प्रति प्रेम प्रकट करते थे, किन्तु मन-ही-मन एक-दूसरे से ईर्ष्या करते थे। वे चारों अपने मन में यही सोचते थे कि यदि किसी …

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कानून सबके के लिए बराबर है

शहंशाह बहुत न्यायप्रिय शासक थे। उन्होंने अपने महल के प्रवेशद्वार पर एक घंटा लगवा दिया था। जिसको भी शिकायत हो वह उस घंटे को बजा सकता था ताकि शहंशाह आवाज को सुनकर न्याय कर सकें। उनके राज्य में गरीब-अमीर, छोटे-बड़े सबसे साथ न्याय किया जाता था। शहंशाह की दृष्टि में कानून सबके लिए बराबर था। …

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जो कुआँ खोदता है वही गिरता है

एक बादशाह के महल की चहारदीवारी के अन्दर एक वजीर और एक कारिंदा रहता था। वजीर और कारिंदे के पुत्र में गहरी दोस्ती थी। हम उम्र होने के कारण दोनों एक साथ पढ़ते, खेलते थे। वजीर के कहने पर कारिंदे का लड़का उसके सब काम कर देता था। वह वजीर को चाचा कहकर पुकारता था। …

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धोबी का कुत्ता न घर का न घाट का

एक बार कक्षा दस की हिंदी शिक्षिका अपने छात्र को मुहावरे सिखा रही थी। तभी कक्षा एक मुहावरे पर आ पहुँची “धोबी का कुत्ता न घर का न घाट का ”, इसका अर्थ किसी भी छात्र को समझ नहीं आ रहा था। इसीलिए अपने छात्र को और अच्छी तरह से समझाने के लिए शिक्षिका ने …

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