Garud Puraan | गरुड़ पुराण

यजुर्वेद के आधार पर संदेश

इस धरती पर अधिकतर जीव समूह बनाकर चलते हैं। समूह बनाकर चलने की प्रवृत्ति अपनाने से मन में सुरक्षा का भाव पैदा होता है। मनुष्य का जिस तरह का दैहिक जीवन है उसमें तो उसे हमेशा ही समूह बनाकर चलना ही चाहिये। जिन व्यक्तियों में थोड़ा भी ज्ञान है वह जानते हैं कि मनुष्य को …

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यजुर्वेद उन्नति

देवो वः सविता प्रार्पयतु श्रेष्ठमाय कर्मण। सबको उत्पन्न करने वाला देव, तुम सबको श्रेष्ठतम कर्म को प्रेरित करे। यहां यह प्रेरणा मिलती है कि सबको मिलजुल कर श्रेष्ठतम कर्मों को करना चाहिए, तभी उन्नति संभव है। प्रत्येक मनुष्य की यह महत्वांकांक्षा होनी चाहिए कि वह ऐसे कार्य करें जो उन्नतिकारक एवं प्रशंसनीय हों। ऐसे कर्म …

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यजुर्वेद

जो नर यज्ञ – हवन करते हैं इह – पर में वे सुख पाते हैं पर उपकार में रत रहते हैं श्रेष्ठ कर्म से यश पाते हैं । धर्म मार्ग ईश्वर ने दिखाया सत्य न्याय से युक्त वही है वह ही शुभचिंतक है सबका पुरुषार्थ मात्र का श्रोत वही है । जैसा कर्म जीव करता …

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यजुर्वेद में व्रत की परिभाषा

यजुर्वेद में व्रत की बहुत सुन्दर परिभाषा दी गई है- अग्ने-व्रतपते व्रतं चरिष्यामि, तच्छकेयं तन्मे राध्यताम। इदं अहं अनृतात् सत्यम् उपैमि।। यजु. अर्थात्, हे अग्निस्वरूप व्रतपते सत्यव्रत पारायण साधक पुरूषों के पालन पोषक परमपिता परमेश्वर! मैं भी व्रत धारण करना चाहता हूँ। आपकी कृपा से मैं अपने उस व्रत का पालन कर सकूँ। मेरा यह …

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यजुर्वेद में औषधीय वनस्पति की प्रार्थना

प्राचीन वैदिक ग्रंथ यजुर्वेद में औषधीय वनस्पतियों की प्रार्थना संबंधी मंत्र दिये गये हैं । इनमें से दो, मंत्र संख्या 100 एवं 101, इस प्रकार हैं: दीर्घायुस्त औषधे खनिता यस्मै च त्वा खनाम्यहम् । अथो त्वं दीर्घायुर्भूत्वा शतवल्शा विरोहतात् ।। (शुक्लयजुर्वेदसंहिता, अध्याय १२, मंत्र १०० ) (दीर्घायुः त औषधे खनिता यस्मै च त्वा खनामि अहम्, …

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यजुर्वेद

‘यजुष’ शब्द का अर्थ है- ‘यज्ञ’। यर्जुवेद मूलतः कर्मकाण्ड ग्रन्थ है। इसकी रचना कुरुक्षेत्र में मानी जाती है। यजुर्वेद में आर्यो की धार्मिक एवं सामाजिक जीवन की झांकी मिलती है। इस ग्रन्थ से पता चलता है कि आर्य ‘सप्त सैंधव’ से आगे बढ़ गए थे और वे प्राकृतिक पूजा के प्रति उदासीन होने लगे थे। …

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विष्णु पुराण

अठारह महापुराणों में ‘विष्णु पुराण’ का आकार सबसे छोटा है। किन्तु इसका महत्व प्राचीन समय से ही बहुत अधिक माना गया है। संस्कृत विद्वानों की दृष्टि में इसकी भाषा ऊंचे दर्जे की, साहित्यिक, काव्यमय गुणों से सम्पन्न और प्रसादमयी मानी गई है। इस पुराण में भूमण्डल का स्वरूप, ज्योतिष, राजवंशों का इतिहास, कृष्ण चरित्र आदि …

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पुराण साहित्य

पुराण साहित्य में गरूड़ पुराण का प्रमुख स्थान है। सनातन धर्म में यह मान्यता है कि मष्त्यु के पश्चात् गरूड़ पुराण कराने से जीव को वैकुण्ठ लोक की प्राप्ति हो जाती है। गरूड़ पुराण में 19 हजार श्लोक हैं किन्तु वर्तमान में कुल 7 हजार श्लोक ही प्राप्त होते हैं। प्रेत योनि को भोग रहे …

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शरीर त्यागने के बाद कहां जाती है आत्मा

गरूड़ पुराण जो मरने के पश्चात आत्मा के साथ होने वाले व्यवहार की व्याख्या करता है उसके अनुसार जब आत्मा शरीर छोड़ती है तो उसे दो यमदूत लेने आते हैं. मानव अपने जीवन में जो कर्म करता है यमदूत उसे उसके अनुसार अपने साथ ले जाते हैं. अगर मरने वाला सज्जन है, पुण्यात्मा है तो …

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गरुड़ पुराण

मत्स्य अवतार भगवान विष्णु के प्रथम अवतार है। मछली के रूप में अवतार लेकर भगवान विष्णु ने एक ऋषि को सब प्रकार के जीव-जन्तु एकत्रित करने के लिये कहा और पृथ्वी जब जल में डूब रही थी, तब मत्स्य अवतार में भगवान ने उस ऋषि की नाव की रक्षा की। इसके पश्चात ब्रह्मा ने पुनः …

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