Dadi Nani Kahaniya | दादी नानी कहानिया

दोस्ती

शहर से दूर जंगल में एक पेड़ पर गोरैया का जोड़ा रहता था। उनके नाम थे, चीकू और चिनमिन। दोनो बहुत खुश रहते थे। सुबह सवेरे दोनो दाना चुगने के लिये निकल जाते। शाम होने पर अपने घोंसले मे लौट जाते। कुछ समय बाद चिनमिन ने अंडे दिये। चीकू और चिनमिन की खुशी का ठिकाना …

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धूर्त भेड़िया

ब्रह्मारण्य नामक एक बन था। उसमें कर्पूरतिलक नाम का एक बलशाली हाथी रहता था। देह में और शक्ति में सबसे बड़ा होने से बन में उसका बहुत रौब था। उसे देख सारे बाकी पशु प्राणी उससे दूर ही रहते थे। जब भी कर्पूरतिलक भूखा होता तो अपनी सूँड़ से पेड़ की टहनी आराम से तोड़ता …

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चालाकी का फल

एक थी बुढ़िया, बेहद बूढ़ी पूरे नब्बे साल की। एक तो बेचारी को ठीक से दिखाई नहीं पड़ता था ऊपर से उसकी मुर्गियाँ चराने वाली लड़की नौकरी छोड़ कर भाग गयी। बेचारी बुढ़िया! सुबह मुर्गियों को चराने के लिये खोलती तो वे पंख फड़फड़ाती हुई सारी की सारी बुढिया के घर की चारदीवारी फाँद कर …

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मोर और कौआ

एक दिन कौए ने जंगल में मोरों की बहुत- सी पूंछें बिखरी पड़ी देखीं। वह अत्यंत प्रसन्न होकर कहने लगा- वाह भगवान! बड़ी कृपा की आपने, जो मेरी पुकार सुन ली। मैं अभी इन पूंछों से अच्छा खासा मोर बन जाता हूं। इसके बाद कौए ने मोरों की पूंछें अपनी पूंछ के आसपास लगा ली। …

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आलसी मत बनें

जीवन में सफलता हासिल करना चाहते है तो आलस्य को अपने पास आने न दें। आलसी की तुलना उस तालाब से की जा सकती है सीमा में बंध जाने की वजह से जिसके पानी में सरांध व काई जम जाती है। जबकि अनवरत चलने वाली नदी का पानी सदैव निर्मल रहता है। यदि आप दिनभर …

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चार मूर्ख

एक बार काशी नरेश ने अपने मंत्री को यह आदेश दिया कि जाओ और तीन दिन के भीतर चार मूर्खों को मेरे सामने पेश करो। यदि तुम ऐसा नहीं कर सके तो तुम्हारा सिर कलम कर दिया जाएगा। पहले तो मंत्री जी थोड़े से घबराये लेकिन मरता क्या न करता। राजा का हुक्म जो था। …

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सबसे बड़ा दाता

राजपुर नगर में दो व्यक्ति शामू और झामु रहते थे। दोनों ही थोड़े आलसी थे और भाग्य पर विश्वास करते थे। शामू कहता – यदि राजा विक्रम सिंह मुझे कुछ देता है तो गुजारा हो जाता है अन्यथा मेरे पास कुछ भी नहीं है। झामु कहता – भगवान भोलेनाथ मुझे कुछ देते हैं तो मेरा …

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नकल में भी अकल चाहिए

एक पहाड़ की ऊंची चोटी पर एक बाज रहता था। पहाड़ की तराई में बरगद के पेड़ पर एक कौआ अपना घोंसला बनाकर रहता था। वह बड़ा चालाक और धूर्त था। उसकी कोशिश सदा यही रहती थी कि बिना मेहनत किए खाने को मिल जाए। पेड़ के आसपास खोह में खरगोश रहते थे। जब भी …

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मक्खीचूस गीदड़

जंगल में एक गीदड़ रहता था। वह बड़ा कंजूस था। वह कंजूसी अपने शिकार को खाने में किया करता था। जितने शिकार से दूसरा गीदड़ दो दिन काम चलाता, वह उतने ही शिकार को सात दिन तक खींचता। जैसे उसने एक खरगोश का शिकार किया। पहले दिन वह एक ही कान खाता। बाकी बचाकर रखता। …

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तपस्विनी बिल्ली

एक वन में एक पेड़ की खोह में एक चकोर रहता था। उसी पेड़ के आस-पास कई पेड़ और थे, जिन पर फल व बीज उगते थे। उन फलों और बीजों से पेट भरकर चकोर मस्त पड़ा रहता। इसी प्रकार कई वर्ष बीत गए। एक दिन उड़ते-उड़ते एक और चकोर सांस लेने के लिए उस …

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