Aadhyatmik Katha | आध्यात्मिक कथा

शुक्ल चतुर्थी को चंद्रमा दर्शन

एक बार नंदकिशोर ने सनतकुमारों से कहा कि चौथ की चंद्रमा के दर्शन करने से श्रीकृष्ण पर जो लांछन लगा था, वह सिद्धि विनायक व्रत करने से ही दूर हु‌आ था। ऐसा सुनकर सनतकुमारों को आश्चर्य हु‌आ। उन्होंने पूर्णब्रह्म श्रीकृष्ण को कलंक लगने की कथा पूछी तो नंदकिशोर ने बताया-एक बार जरासन्ध के भय से …

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भाई दूज कथा

भगवान सूर्यदेव की पत्नी का नाम छाया था । उसकी कोख से यमराज तथा यमुना का जन्म हुआ । यमुना अपने भाई यमराज से बडा स्नेह करती थी । वह उससे बराबर निवेदन करती है वह उसके घर आकर भोजन करें । लेकिन यमराज अपने काम में व्यक्त रहने के कारण यमुना की बात को …

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घटोत्कच का जन्म

सुरंग के रास्ते लाक्षागृह से निकल कर पाण्डव अपनी माता के साथ वन के अन्दर चले गये। कई कोस चलने के कारण भीमसेन को छोड़ कर शेष लोग थकान से बेहाल हो गये और एक वट वृक्ष के नीचे लेट गये। माता कुन्ती प्यास से व्याकुल थीं इसलिये भीमसेन किसी जलाशय या सरोवर की खोज …

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धनतेरस की कहानी

भारत त्यौहारों का देश है। विभिन्न त्यौहारों पर अलग-अलग पौराणिक कथाएं प्रचलित हैं. इसी प्रकार धनतेरस पर भी यमराज की एक कथा बहुत प्रचलित है। कथा कुछ इस प्रकार है। पुराने जमाने में एक राजा हुए थे राजा हिम। उनके यहां एक पुत्र हुआ, तो उसकी जन्म-कुंडली बनाई गई। ज्योतिषियों ने कहा कि राजकुमार अपनी …

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शौर्य-परीक्षा

कौरव और पांडव राजकुमारों ने शस्त्र विद्या तो सीख ही ली थी, शास्त्रों का ज्ञान भी प्राप्त कर लिया था| वे सब वयस्क हो गए थे, जनता में अपना वर्चस्व स्थापित करने लगे थे| कौरव और पांडव दोनों हस्तिनापुर के विशाल साम्राज्य के दावेदार थे| दोनों का समान भाग था, पर दुर्योधन अपनी कुटिलता के …

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धर्मराज की धार्मिकता

महाराज युधिष्ठिर ने जब सुना कि श्रीकृष्ण ने अपनी लीला का संवरण कर लिया है और यादव परस्पर कलह से ही नष्ट हो चुके हैं, तब उन्होंने अर्जुन के पौत्र परीक्षित का राजतिलक कर दिया| स्वयं सब वस्त्र एवं आभूषण उतार दिए| मौन व्रत लेकर, केश खोले, संन्यास लेकर वे राजभवन से निकले और उत्तर …

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कृपाचार्य

कृपाचार्य महर्षि शरद्वान के पुत्र थे| महर्षि शरद्वान महर्षि गौतम के पुत्र थे, इसी कारण इनको गौतम भी कहते थे| वे धनुर्विद्या में पूर्ण पारंगत थे| इंद्र भी इनकी असाधारण पटुता देखकर इनसे डरने लगा था| तभी तो इसने उनको भ्रष्ट करने के लिए जानपदी नाम की एक देवकन्या इनके पास पास भेज दी| वह …

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पौराणिक चरित्र पृथु

पृथु एक सूर्यवंशी राजा थे, जो वेन के पुत्र थे। वाल्मीकि रामायण में इन्हें अनरण्य का पुत्र तथा त्रिशंकु का पिता कहा गया है। ये भगवान विष्णु के अंशावतार थे। स्वयंभुव मनु के वंशज अंग नामक प्रजापति का विवाह मृत्यु की मानसी पुत्री सुनीथा से हुआ था। वेन उनका पुत्र हुआ। सिंहासन पर बैठते ही …

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धृतराष्ट्र, पाण्डु तथा विदुर का जन्म

सत्यवती के चित्रांगद और विचित्रवीर्य नामक दो पुत्र हुये। शान्तनु का स्वर्गवास चित्रांगद और विचित्रवीर्य के बाल्यकाल में ही हो गया था इसलिये उनका पालन पोषण भीष्म ने किया। भीष्म ने चित्रांगद के बड़े होने पर उन्हें राजगद्दी पर बिठा दिया लेकिन कुछ ही काल में गन्धर्वों से युद्ध करते हुये चित्रांगद मारा गया। इस …

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कृष्ण और रुक्मिणी

विदर्भ देश के राजा भीष्मक के पांच पुत्र और एक पुत्री थी| पुत्री का नाम रुक्मिणी था जो समकालीन राजकुमारियों में सर्वाधिक सुंदर और सुशील थी| उससे विवाह करने के लिए अनेक राजा और राजकुमार आए दिन विदर्भ देश की राजधानी की यात्रा करते रहते थे| उन दिनों कृष्ण के रूप-सौंदर्य, गुणों और पराक्रम की …

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