Aadhyatmik Katha | आध्यात्मिक कथा

धनतेरस

प्राचीन काल में एक राजा थे। उनके कोई संतान नहीं थी। अत्याधिक पूजा-अर्चना व मन्नतों के पश्चात दैव योग से उन्हें पुत्र प्राप्ति हुई। ज्योंतिषियों ने बालक की कुण्डली बनाते समय भविष्यवाणी की कि इस बालक के विवाह के चार दिन के बाद उसकी मृत्यु हो जाएगी। राजा इस बात को जानकर बहुत व्यथित हुए …

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होलिका और प्रहलाद

इस त्योहार का मुख्य संबंध बालक प्रहलाद से है। प्रहलाद था तो विष्णुभक्त मगर उसने ऐसे परिवार में जन्म लिया, जिसका मुखिया क्रूर और निर्दयी था। प्रहलाद का पिता अर्थात निर्दयी हिरण्यकश्यप अपने आपको भगवान समझता था और प्रजा से भी यही उम्मीद करता था कि वह भी उसे ही पूजे और भगवान माने। ऐसा …

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द्रोण गुरु के पद पर

गुरु द्रोणाचार्य ब्राह्मण थे, धनुर्विद्या के महान आचार्य थे, पर बड़े गरीब थे| इतने गरीब थे कि जीवन का निर्वाह होना कठिन था| घर में कुल तीन प्राणी थे – द्रोणाचार्य स्वयं, उनकी पत्नी और उनका पुत्र अश्वत्थामा| पुत्र की अवस्था पांच-छ: वर्ष की थी| एक दिन पुत्र ने अपने एक साथी को दूध पीते …

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शुर्पणखा के नाक-कान काट दिए

चौदह वर्ष के वनवास के दौरान श्रीराम, सीता और लक्ष्मण पंचवटी में एक पर्णकुटी बनाकर रह रहे थे। एक दिन रावण की बहन राक्षसी शुर्पणखा आकाश मार्ग से उस ओर से गुजर रही थी तभी वह श्रीराम और लक्ष्मण के सुंदर और मोहक रूप को देखकर मोहित हो गई। वह तुरंत ही जमीन पर उतर …

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द्रुपद का पुत्रेष्टि यज्ञ

प्राचीन भारत में पुत्रेष्टि यज्ञ के द्वारा तेजस्वी पुत्र प्राप्त करने की प्रथा थी| जब किसी बहुत बड़े नृपति को संतान का अभाव दुख देता था, तो वह ऋषियों और महात्माओं के द्वारा पुत्रेष्टि यज्ञ कराता था| यज्ञ के कुंड से हवि बाहर निकलती थी| उस हवि को खाने से मनचाहे पुत्र की प्राप्ति होती …

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निरमंड आये परशुर

हिमाचल प्रदेश की सुरमई वादियों में यूं तो कदम-कदम पर देवस्थल मौजूद हैं, लेकिन इनमें से कुछ एक ऐसे भी हैं जो अपने में अनूठी गाथाएँ और रहस्य समेटे हुए हैं| ऐसा ही एक मंदिर है निरमंड का परशुराम मंदिर| यह मंदिर शिमला से करीब 150 किलोमीटर दूर रामपुर बुशहर के पास स्थित निरमंड गाँव …

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वरद् पुत्र

प्राचीन काल में मथुरा में एक प्रतापी नृपति राज्य करते थे| उनका नाम शूरसेन था| वे भगवान श्रीकृष्ण के पिता वसुदेव के पिता था| वे बड़े धर्मात्मा एवं प्रतिज्ञापालक थे| शूरसेन के एक अनन्य मित्र थे, जिनका नाम कुंतिभोज था| कुंतिभोज के पास सबकुछ तो था, किंतु संतान नहीं थी| वे संतान के अभाव में …

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बसन्त पंचमी कथा

सृष्टि के प्रारंभिक काल में भगवान विष्णु की आज्ञा से ब्रह्मा ने जीवों, खासतौर पर मनुष्य योनि की रचना की। अपनी सर्जना से वे संतुष्ट नहीं थे। उन्हें लगता था कि कुछ कमी रह गई है जिसके कारण चारों आ॓र मौन छाया रहता है। विष्णु से अनुमति लेकर ब्रह्मा ने अपने कमण्डल से जल छिड़का, …

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पार्वती की युक्ति

एक बार शिवजी और मां पार्वती भ्रमण पर निकले। उस काल में पृथ्वी पर घोर सूखा पड़ा था। चारों ओर हाहाकार मचा हुआ था। पीने को पानी तक जुटाने में लोगों को कड़ी मेहनत करना पड़ रही थी। ऐसे में शिव-पार्वती भ्रमण कर रहे थे। मां पार्वती से लोगों की दयनीय स्थिति देखी नहीं गई। …

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होलिका का पूजन क्यों?

लोगों के मन में एक प्रश्न रहता है कि जिस होलिका ने प्रहलाद जैसे प्रभु भक्त को जलाने का प्रयत्न किया, उसका हजारों वर्षों से हम पूजन किसलिए करते हैं? होलिका-पूजन के पीछे एक बात है। जिस दिन होलिका प्रहलाद को लेकर अग्नि में बैठने वाली थी, उस दिन नगर के सभी लोगों ने घर-घर …

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