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कुएं का मेंढक

तुमने कहानी सुनी है न! सागर का एक मेंढक एक बार एक कुएं में चला आया। कुएं के मेंढक ने पूछा कि मित्र, कहां से आते हो? उसने कहा: सागर से आता हूं। कुएं के मेंढक ने तो सागर शब्द सुना ही नहीं था। उस ने कहा: सागर! यह किस कुएं का नाम है? सागर …

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छाया

मैंने सुना है कि एक गांव में एक बार एक आदमी को एक बड़ा पागलपन सवार हो गया। वह एक रास्ते से गुजर रहा था। भरी दोपहरी थी, अकेला रास्ता था, निर्जन था। तेजी से चल रहा था कि निर्जन में कोई डर न हो जाए। हालाकि डर वहां हो भी सकता है, जहां कोई …

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मैं निपट अज्ञानी हूं

मैंने सुना है, एक सूफी फकीर के आश्रम में प्रविष्ट होने के लिये चार स्त्रियां पहुंचीं। उनकी बड़ी जिद थी, बड़ा आग्रह था। ऐसे सूफी उन्हें टालता रहा, लेकिन एक सीमा आई कि टालना भी असंभव हो गया। सूफी को दया आने लगी, क्योंकि वे द्वार पर बैठी ही रहीं – भूखी और प्यासी; और …

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कोल्हू का बैल

मैंने सुना है, एक दार्शनिक, एक तार्किक, एक महापंडित सुबह-सुबह तेल खरीदने तेली की दुकान पर गया। विचारक था, दार्शनिक था, तार्किक था, जब तक तेली ने तेल तौला, उसके मन में यह सवाल उठा–उस तेली के पीछे ही कोल्हू का बैल चल रहा है, तेल पेरा जा रहा है–न तो उसे कोई चलाने वाला …

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बाहर की दुनिया

कवि गालिब को एक दफा बहादुरशाह ने भोजन का निमंत्रण दिया था। गालिब था गरीब आदमी। और अब तक ऐसी दुनिया नहीं बन सकी कि कवि के पास भी खाने-पीने को पैसा हो सके। अच्छे आदमी को रोजी जुटानी अभी भी बहुत मुश्किल है। गालिब तो गरीब आदमी थे। कविताएं लिखी थीं, ऊँची कविताएं लिखने …

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पारखी भी है या नहीं?

मिश्र में एक अद्भुत फकीर हुआ है झुन्‍नून। एक युवक ने आकर उससे पूछा, मैं भी सत्‍संग का आकांक्षी हूं। मुझे भी चरणों में जगह दो। झुन्‍नून ने उसकी तरफ देखा—दिखाई पड़ी होगी वहीँ बुद्ध की कलछी वाली बात जो दाल में रहकर भी उसका स्‍वाद नहीं ले पाती। उसने कहा,तू एक काम कर। खीसे …

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काम बंद हो तो वह दिखाई पड़े

स्‍वामी राम एक कहानी कहा करते थे, वे कहते थे, एक प्रेमी था, वह दूर देश चला गया था। उसकी प्रेयसी राह देखती रही। वर्ष आए, गए। पत्र आते थे उसके, अब आता हूं, अब आता हूं। लेकिन प्रतीक्षा लंबी होती चली गई और वह नहीं आया। फिर वह प्रेयसी घबड़ा गई और एक दिन …

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मौत के क्षण

एक सूफी कथा है। एक लकड़हारा सत्तर साल का हो गया है, लकड़ियां ढोते—ढोते जिंदगी बीत गयी, कई बार सोचा कि मर क्यों न जाऊं! कई बार परमात्मा से प्रार्थना की कि हे प्रभु, मेरी मौत क्यों नहीं भेज देता, सार क्या है इस जीवन में! रोज लकड़ी कांटना, रोज लकड़ी बेचना, थक गया हूं! …

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संसार तुम पर निर्भर है

मैंने सुना है,अमरीका का एक बहुत बड़ा विचारक, अपनी वृद्धावस्था में दुबारा पेरिस देखने आया अपनी पत्नी के साथ। तीस साल पहले भी वे आए थे अपनी सुहागरात मनाने। फिर तीस साल बाद जब अवकाशप्राप्त हो गया वह, नौकरी से छुटकारा हुआ, तो फिर मन में लगी रह गई थी, फिर पेरिस देखने आया। पेरिस …

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निन्यानबे का फेर

एक सम्राट का एक नाई था। वह उसकी मालिश करता, हजामत बनाता। सम्राट बड़ा हैरान होता था कि वह हमेशा प्रसन्न, बड़ा आनंदित, बड़ा मस्त! उसको एक रुपया रोज मिलता था। बस, एक रुपया रोज में वह खूब खाता-पीता, मित्रों को भी खिलाता-पिलाता। सस्ते जमाने की बात थी। रात जब सोता तो उसके पास एक …

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