Month: April 2023

नारद जी

एक बार नारद जी घुमते हुए डाकू रत्नाकर के इलाके में पहुँचे। रत्नाकर ने उन्हें लूटने के लिये रोका। नारद जी बोले “भैया मेरे पास तो यह वीणा है, इसे ही रख लो। लेकिन एक बात तो बताओ, तुम यह पाप क्यों कर रहे हो?” रत्नाकर ने कहा,”अपने परिवार के लिये।” तब नारद जी बोले, …

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लक्ष्मीजी की अंगूठी

एक निर्धन व्यक्ति था। वह नित्य भगवान विष्णु और लक्ष्मी की पूजा करता। एक बार दीपावली के दिन भगवती लक्ष्मी की श्रद्धा-भक्ति से पूजा-अर्चना की। कहते हैं उसकी आराधना से लक्ष्मी प्रसन्न हुईं। वह उसके सामने प्रकट हुईं और उसे एक अंगूठी भेंट देकर अदृश्य हो गईं। अंगूठी सामान्य नहीं थी। उसे पहनकर जैसे ही …

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कर्ण का जन्म

धृतराष्ट्र, पाण्डु और विदुर के लालन पालन का भार भीष्म के ऊपर था। तीनों पुत्र बड़े होने पर विद्या पढ़ने भेजे गये। धृतराष्ट्र बल विद्या में, पाण्डु धनुर्विद्या में तथा विदुर धर्म और नीति में निपुण हुये। युवा होने पर धृतराष्ट्र अन्धे होने के कारण राज्य के उत्तराधिकारी न बन सके। विदुर दासीपुत्र थे इसलिये …

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कृपाचार्य तथा द्रोणाचार्य की कथा

गौतम ऋषि के पुत्र का नाम शरद्वान था। उनका जन्म बाणों के साथ हुआ था। उन्हें वेदाभ्यास में जरा भी रुचि नहीं थी और धनुर्विद्या से उन्हें अत्यधिक लगाव था। वे धनुर्विद्या में इतने निपुण हो गये कि देवराज इन्द्र उनसे भयभीत रहने लगे। इन्द्र ने उन्हें साधना से डिगाने के लिये नामपदी नामक एक …

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किरात से युद्ध

हिमालय की तराई में एक सघन वन था| वन में तरह-तरह के पशु-पक्षी रहते थे| वहीं जगह-जगह ऋषियों की झोंपड़ियां भी बनी हुई थीं| ऐसा लगता था मानो प्रकृति ने अपने हाथों से उस वन को संवारा हो| उन्हीं झोंपड़ियों के पास एक तेजस्वी युवक बहुत दिनों से अंगूठे के बल खड़ा होकर तप में …

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महर्षि वेदव्यास के जन्म की कथा

प्राचीन काल में सुधन्वा नाम के एक राजा थे। वे एक दिन आखेट के लिये वन गये। उनके जाने के बाद ही उनकी पत्नी रजस्वला हो गई। उसने इस समाचार को अपनी शिकारी पक्षी के माध्यम से राजा के पास भिजवाया। समाचार पाकर महाराज सुधन्वा ने एक दोने में अपना वीर्य निकाल कर पक्षी को …

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लक्ष्मी जी की मुक्ति

कहते हैं कि राजा बलि के कारागर में श्री लक्ष्मी जी सब देवताओं के साथ बंधन में थीं। आज के दिन ही कार्तिक कृष्ण अमावस्या को भगवान विष्णु जी ने वामन अवतार धारण कर उन सबको बंधन से छुड़ाया था। बंधन मुक्त होते ही सभी देवता भगवती श्री लक्ष्मी जी के साथ क्षीर-सागर में जाकर …

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गणगौर कथा

एक बार भगवान शंकर पार्वती जी एवं नारदजी के साथ भ्रमण हेतु चल दिए । वे चलते चलते चैत्र शुक्ल तृतीया को एक गाँव में पहुचे । उनका आना सुनकर ग्राम की निर्धन स्त्रियाँ उनके स्वागत के लिए थालियो में हल्दी अक्षत लेकर पूजन हतु तुरतं पहुँच गई । पार्वती जी ने उनके पूजा भाव …

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महाबली भीमसेन

भीमसेन कुंती का दूसरा पुत्र था| इसका जन्म पवन देवता के संयोग से हुआ था, इसी कारण इसमें पवन की-सी शक्ति थी| इसके उदर में वृक नामक तीक्ष्ण अग्नि थी, इसीलिए इसका नाम वृकोदर भी पड़ा| जिस समय इसका जन्म हुआ, उसी समय आकाशवाणी हुई थी कि भीमसेन वीरों में श्रेष्ठ होगा और यह बड़े-बड़े …

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कृष्ण का पृथ्वी पर आगमन

द्वापर युग की बात है, एक बार पृथ्वी पर पाप कर्म बहुत बढ़ गए। सभी देवता चिंतित थे। अपनी समस्या लेकर वे भगवान विष्णु के पास गए। भगवान विष्णु ने उनकी बात सुनकर उन्हें आश्वस्त करते हुए कहा, “चिंता न करें, मैं नर-अवतार लेकर पृथ्वी पर आऊंगा और इसे पापों से मुक्ति प्रदान करूंगा। मेरे …

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