श्राद्ध के 96 अवसर बताता है भविष्य पुराण

पितृपक्ष पितरों के लिए खास समय है। इस पक्ष में विधि-विधान से श्राद्ध करके पितरों को संतुष्ट किया जाता है। हालांकि भविष्य पुराण श्राद्ध के 96 अवसर बताता है। श्राद्ध में विधान कम श्रद्धा अधिक महत्वपूर्ण है। श्रद्धा से यदि सूर्योदय के समय नहा-धोकर काले तिल के साथ सूर्य को जल दें अथवा गीता के सातवें अध्याय का संकल्प सहित पाठ कर उसके पुण्य को पितरों को अर्पित कर दें तो भी पितर संतुष्ट हो जाते हैं और धन-धान्य, यश-कीर्त, पुत्र-पौत्रादि में वृद्धि करते हैं।

यह बातें ज्योतिषाचार्य पं. शरद चंद्र मिश्र ने कही। उन्होंने कहा कि भविष्य पुराण में कहा गया है- ‘अमायुग्मनु क्रान्ति धृति पात महालया:। अष्टकाऽन्वष्टका पूर्वेद्यु: श्राद्धैर्नवतिश्च षट्’।। अर्थात् 12 माह की अमावस्याएं, 4 युगादि तिथियां, मनुओं के आरंभ की 14 मन्वादि तिथियां, 12 संक्रांतियां, 12 वैधृति योग, 12 व्यपाति योग, 15 महालय श्राद्ध, 5 अष्टका, 5 अन्वष्टका तथा 5 पूर्वेद्यु, ये श्राद्ध के 96 अवसर हैं।

इसके अलावा पितृपक्ष की प्रत्येक तिथि श्राद्ध के लिए पवित्र है लेकिन उसमें भी कुछ तिथियां विशेष महत्वपूर्ण हैं- चौथ कल्याणी या चौथ भरणी, कल्याणी पंचमी या भरणी पंचमी, मातृ नवमी, घात चतुर्दशी, सर्व पौत्री अमावस्या व मातामह प्रतिपदा।

Leave a Comment

Your email address will not be published.