द्वारिका

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द्वारिका में रहकर कृष्ण ने सुखपूर्वक जीवन बिताया। यहीं रहकर उन्होंने हस्तिनापुर की राजनीति में अपनी गतिविधियां बढ़ाईं और 8 स्त्रियों से विवाह कर एक नए कुल और साम्राज्य की स्थापना की। द्वारिका वैकुंठ के समान थी। कृष्ण की 8 पत्नियां थीं:- रुक्मिणी, सत्यभामा, जाम्बवती, मित्रवन्दा, सत्या, लक्ष्मणा, भद्रा और कालिंदी। इनसे उनका कई पुत्र और पुत्रियों की प्राप्ति हुई।

इसके बाद कृष्ण ने भौमासुर (नरकासुर) द्वारा बंधक बनाई गई लगभग 16 हजार स्त्रियों को मुक्त कराकर उन्हें द्वारिका में शरण दी। नरकासुर प्रागज्योतिषपुर का दैत्यराज था जिसने इंद्र को हराकर उनको उनकी नगरी से बाहर निकाल दिया था। नरकासुर के अत्याचार से देवतागण त्राहि-त्राहि कर रहे थे। वह वरुण का छत्र, अदिति के कुण्डल और देवताओं की मणि छीनकर त्रिलोक विजयी हो गया था। वह पृथ्वी की हजारों सुन्दर कन्याओं का अपहरण कर उनको बंदी बनाकर उनका शोषण करता था। मु‍क्त कराई गई ये सभी स्त्रियां कृष्ण की पत्नियां या रखैल नहीं थीं बल्कि उनकी सखियां और शिष्या थीं, जो उनके राज्य में सुखपूर्वक स्वतंत्रतापूर्वक अपना अपना जीवन-यापन अपने तरीके से कर रही थीं।

पांडवों से कृष्ण की मुलाकात : – एक दिन पंचाल के राजा द्रुपद द्वारा द्रौपदी-स्वयंवर का आयोजन किया गया। उस काल में पांडव के वनवास के 2 साल में से अज्ञातवास का एक साल बीत चुका था। कृष्ण भी उस स्वयंवर में गए। वहां उनकी बुआ (कुं‍ती) के लड़के पांडव भी मौजूद थे। यहीं से पांडवों के साथ कृष्ण की घनिष्ठता का आरंभ हुआ।

पांडव अर्जुन ने मत्स्य भेदकर द्रौपदी को प्राप्त कर लिया और इस प्रकार अपनी धनुर्विद्या का कौशल अनेक देश के राजाओं के समक्ष प्रकट कर दिया। अर्जुन की इस कौशलता से श्रीकृष्ण बहुत प्रसन्न हुए। वहीं उन्होंने पांडवों से मित्रता बढ़ाई और वनवास की समाप्ति के बाद वे पांडवों के साथ हस्तिनापुर पहुंचे। कुरुराज धृतराष्ट्र ने पांडवों को इंद्रप्रस्थ के आस-पास का प्रदेश दे रखा था। पांडवों ने कृष्ण के द्वारका निर्माण संबंधी अनुभव का लाभ उठाया। उनकी सहायता से उन्होंने भी जंगल के एक भाग को साफ कराकर इंद्रप्रस्थ नगर को अच्छे और सुंदर ढंग से बसाया। इसके बाद कृष्ण द्वारका लौट गए। फिर एक दिन अर्जुन तीर्थाटन के दौरान द्वारिका पहुंच गए। वहां कृष्ण की बहन सुभद्रा को देखकर वे मोहित हो गए। कृष्‍ण ने दोनों का विवाह करा दिया और इस तरह कृष्ण की अर्जुन से प्रगाढ़ मित्रता हो गई।

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